मंगलवार, 5 मई 2020

18 रुपये का पेट्रोल कैसे आपके पास पहुंचते-पहुंचते हो जाता है 71 रुपये का? जानिए इससे जुड़ी सभी बातें......

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus Lockdown Part 3) की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें तेजी से गिर रही हैं. एक महीने में कच्चा तेल 85 फीसदी तक सस्ता हो गया है. जी हां, कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 10 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं. अगर एक लीटर में बदलें तो ये पानी से भी सस्ता है. जबकि भारत में पेट्रोल के दाम लगातार स्थिर है. यहां तक की सरकार ने इस पर एक्साइज ड्यूटी और बढ़ा दी है. आपको बता दें कि जब आप 71 रुपये लीटर की दर से पेट्रोल खरीदते हैं तो सारा पैसा पेट्रोल कंपनियों को नहीं देते हैं. इसमें से आधे से ज्यादा पैसा तो टैक्स के रूप में केंद्र और राज्य को जाता है.

आइए जानें कैसे पेट्रोल के दाम तय होते है.

आईओसी यानी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, समय दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 17.96 रुपये है. अगर आसान शब्दों में कहें तो विदेशों से कच्चा तेल खरीदने के बाद उसे रिफाइन करने के बाद कंपनियां 17.96 रुपये प्रति लीटर में उपलब्ध करा रही हैैं.

>> इसके बाद जब ये पेट्रोल पंप पर पहुंचता है ते केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के रूप में 32.98 रुपये, ढुलाई खर्च 32 पैसे, डीलर कमीशन 3.56 पैसे और दिल्ली की राज्य सरकार का वैट 16.44 रुपये होता है. राज्य सरकार का वैट डीलर कमीशन पर भी लगता है.>> इस लिहाज से पेट्रोल की कीमत 71.26 रुपये हो जाती है. इसमें केंद्र और राज्य सरकार का टैक्स 49.42 रुपये है.

>> दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के प्रभाव से कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट हुई है. हालात यहां तक आ गए हैं कि पिछले दिनों अमेरिकी बाजार में इसकी फ्यूचर प्राइस नेगेटिव में चली गई थी.

>> तब भी आपको दिल्ली के बाजार में पेट्रोल 71.26 रुपये प्रति लीटर तो डीजल 69.39 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है.

>> पिछली बार साल 2014 से 2016 के बीच कच्चे तेल के दाम तेजी से गिर रहे थे तो सरकार इसका फायदा आम लोगों को देने के बजाय एक्साइज ड्यूटी प्लस रोड सेस के रूप में अपनी आमदनी बढ़ाती रही.

>> नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच केंद्र सरकार ने 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई और केवल एक बार राहत दी.

>> ऐसा करके साल 2014-15 और 2018-19 के बीच केंद्र सरकार ने तेल पर टैक्स के जरिए 10 लाख करोड़ रुपये कमाए.

>> वहीं राज्य सरकारें भी इस बहती गंगा में हाथ धोने से नहीं चूकीं. पेट्रोल-डीजल पर वैट ने उन्हें मालामाल कर दिया.

>> साल 2014-15 में जहां वैट के रूप में 1.3 लाख करोड़ रुपये मिले तो वहीं 2017-18 में यह बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपये हो गया. इस बार भी जब कीमतें घटनी शुरू हुईं तो केंद्र सरकार ने इस पर टैक्स बढ़ा दिया.

कौन-कौन से राज्यों ने बढ़ाया टैक्स

(1) हरियाणा सरकार ने भी डीजल पर 1.1 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 1 रुपये प्रति लीटर टैक्स बढ़ा दिया है. आज 6 मई 2020, बुधवार को चंडीगढ़ में डीजल की कीमत (Diesel Petrol Price in Haryana) 59.30 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल की कीमत 65.82 रुपये लीटर है.

(2) दिल्ली की सरकार ने अपने नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल की कीमत 1.67 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी है, जबकि डीजल की कीमत 7 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बढ़ा दी है. ये वसूली वैट के जरिए की जा रही है. अब तक पेट्रोल पर 27 फीसदी वैट लगता था और डीजल पर 16.75 फीसदी वैट लगता था. अब दिल्ली सरकार ने डीजल-पेट्रोल दोनों पर ही वैट बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है.

(3) असम (Diesel Petrol Price in Assam) ने इन पर लगने वाला टैक्स बढ़ा दिया. 6 मई 2020, बुधवार को गुवाहाटी में डीजल की कीमत 77.46 रुपये लीटर और पेट्रोल की कीमत 79.84 रुपये लीटर है.

(4) नागालैंड में डीजल (Diesel Petrol Price in Nagaland) पर 5 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 6 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से सेस लगाया गया है. इसके बाद वहां कीमतें बढ़ गई हैं. बुधवार को कोहिमा में डीजल की कीमत 68.73 और पेट्रोल की कीमत 77.37 रुपये लीटर है.

(5) मेघालय (Diesel Petrol Price in Meghalaya) ने भी लॉकडाउन 3.0 से पहले ही डीजल-पेट्रोल की कीमतें बढ़ा दी थीं. आज 6 मई 2020, बुधवार को शिलॉन्ग में डीजल की कीमत 67.45 और पेट्रोल की कीमत 74.61 रुपये लीटर है.

Poddar News Report
Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by PoddarNews. Publisher: News18 Hindi

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें